धोलपुर को जिला 15 अप्रेल 1982 में बनाया गया था यह राज्य का सबसे छोटा जिला है क्षे० के हिसाब सै । वैसे धोलपुर की स्थापना तोमर वश के क्षत्रिय राजा धवलदेव द्वारा 11 वी सदी मे की थी । इसकी सीमा मुरेना जिले से पूरी तरह जूड़ी हुई है । इस जिलें में क्षत्रिय समाज अपनी राजनैतिक उपस्थिति दर्ज समय समय पर कराता रहा है गिरिराज सिंह मलिगा के २००8 में BSP से विधायक बनने के Rajput ki सुस्त होती राजनैतिक पकड़ को इस जिले में एक नई जान डाल दी । यहां पर बृज भाषा और हल्का बुदेलखड़ी का प्रभाव दिखाई देता है । यहां के क्षत्रिय अपने नाम के साथ ठाकुर या राजपूत लिखना ज्यादा पसंद करते गोत्र के स्थान पर । धौलपुर में राजपूत आबादी सबसे अधिक है…राजाखेड़ा,बसेड़ी,बाड़ी तीनो राजपूत बाहुल्य है।वसुंधरा के शासनकाल में एकमात्र जिला प्रमुख धौलपुर में राजपूत था .मलिंगा साहब परमार राजपूत है और पहली बार राजेंद्र सिंह गुड्डा के साथ बीएसपी से चुनाव जिता था उसके बाद दूसरी बार कांग्रेस से जीते हैं ये क्षत्रिय समाज के पूर्वी राजस्थान में एकमात्र विधायक है धौलपुर जिले में गुजर,मीना,राजपूत समाज के लगभग बराबर वोट है इनका लड़का भी वर्तमान में प्रधान है
धौलपुर जिले में राजपूतो की स्थिति:-
पहले इस जिले में 3 विधानसभा क्षेत्र थे 2008 के परिसीमन के बाद 4 विधानसभा क्षेत्र हो गये एक नई सीट बासेरी ( आरक्षित) बनाई गई है भरतपुर की बाध विधानसभा जो आरक्षित थी उसको भंग कर दिया गया था । जहां से पहाड़िया परिवार जीतता आया था । अन्य तीन समान्य विधानसभा जिले की 1धोलपुर 2बाड़ी, 3राजखेड़ा है बसेरी = 2008 में बना .इसी विधानसभा में सरमथुरा नगरपालिका है जो जादौन राजपूतों का बड़ा ठिकाणा रहा है परमार राजपूतों के भी कई ठिकाणे यहां पर है ।धौलपुर बसेड़ी विधानसभा sc है इसमे भी राजपूतो की अछि सख्या मानी जाती है ।।करीब यहां भी राजपूतो का आंकड़ा 25-30 हजार बैठता है ।।
राजाखेड़ा विधानसभा :- बोहरा परिवार का एक छत्र राज इस विधानसभा क्षे० में तीन जनरेशन से वर्तमान में राहूल बोहरा विधायक है ।राजाखेड़ा राजपूत विधानसभा है पर इस पर टिकीट नही दिया इस पर राजपूतो के 30-35 हजार वोटो की सख्या है ।। इनके पिता प्रदुमन सिंह बोहरा 6 वित्त आयोग के अध्यक्ष है इनके पिता प्रताप सिंह भी 2 बार विधायक रहे थे 1957 में बनी इस विधानसभा पर पहला महेंद्र सिंह जी मंगल सिंह से जिते थे । उसके बाद व्यास परिवार एक चुनाव 62 का जिते थे उसके बाद बोहरा परिवार लगातार जीत रहा हैं । एक दो बार क्षत्रिय खड़े हुए जीत नहीं पाये । एक आद बार बिच में बाह्मण उम्मीदवार जरूर जिता है ।
धौलपुर विधानसभा में कोई पार्टी राजपूतो को टिकीट देती है
धोलपुर विधानसभा :- 90 का विधानसभा भेरूसिंह शेखावत इस सीट से बहुत अच्छे मार्जिन से जीते थे पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था क्यों की वह छबड़ा सीट से भी चुनाव जीते थे राज्य की सबसे अधिक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ कर जीतने का रिकार्ड इन्हीं के नाम है 8 से अधिक अलग अलग विधानसभा क्षेत्र से जीतने का रिकार्ड इन्ही के नाम है। इस क्षेत्र के बडे़ लीडर बनवारी लाल शर्मा को हराया था बनवारी शर्मा यहां पर 5 चुनाव जीता है 4 चुनाव हारा है । वसुन्धरा 85 का चुनाव जीती थी । पर 90 का उपचुनाव वसुन्धरा तथाकथित राजपूत संघटनों की बेटी शर्मा जी से हार जाती है । 1977 का चुनाव ठा जगदीश सिंह ने जीता था जनता पार्टी से | 1957 का चुनाव बहादुर सिंह जी ने जीता था । २००8 Bjp से अब्दुल सगीर खान जीते थे शर्मा जी से एकमात्र मुस्लिम थे अब तक में जीतने वालों में । वर्तमान में 2-3 बारी के चुनाव से कुशवाह जाती के उम्मीदवार जीत रहे है क्यों की मुख्य पार्टीयां ब्राह्मणों और राजपुतों को टिकट नहीं दे रही । दोनों राष्ट्रीय दल कुशवाह को टिकट दे रही है समाजिक संतुलन के नाम पर ।
गिरिराज सिंह मलिंगा
बाड़ी विधानसभा :- 2008 के त्रिकोणीय मुकाबले में गिरिराज सिंह मलिंगा जी को 32% 35895 मत मिले बसपा से और जसवंत गुजर को 29% 32965 मत मिले लगभग तीन हजार मत से चुनाव मलिंगा जी जीत गये । 2013 में 37% मत मिले और जसवंत गुजर को 35% मत मिले BJP से BSP 26% मत लेकर आई । 2018 चुनाव में सचिन पायलेट का साथ नहीं मिलने के बावजूद भी मलिंगा जी 44% 79712मत लेकर आये और जसवंत गुजर 33% मत लेकर आया मलिंगा जी फिर से एक बार जीत गये । बाड़ी विधानसभा पर 1980 में शिव सिंह चौहान ने सालिब राम गुजर को चुनाव हराया था । यहां पर 19 51 में मंगल सिंह 1957 सुबेदार सिह 1962 रघुबीर सिंह ने चुनाव जीत था । इन 51 से62 तक विजेताओं की पूरी जानकारी तो स्थानीय व्यक्ति ही दे पायेगा । 1967,1972 में sc सीट बना दिया था 77 में सालिब राम गुजर जीता था । 1980 में तो शिव सिंह जीते थे ही । उसके बाद २००8 तक दलजीत सिंह चीकू चार पांच बार और एक आद बार जसवंत गुजर विधायक रहा है । मलिंगा जी के जीतने के बाद समाज को स्थानीय पंचायत और निकाए चुनाव काफी फायदा हुआ था ।करीब यहां भी राजपूतो का आंकड़ा 27-32 हजार बैठता है ।। बाकि इस जिले की राजनैतिक समीक्षा स्थानीय क्षत्रिय ही अच्छी तरह से कर पायेगा । बाड़ी विधानसभा की जनसांख्यकी की जानकारी भी स्थानीय व्यक्ति अधिक सटीक उपलब्ध करवा सकता है । बहार से तो सीर्फ मीडिया सोर्स से कुछ जानकरी जुटाई जा सकती है अंग्रेजो द्वारा बनाई गई रियासत में जाटों का इतना राजनैतिक में इतना दखल नही है वर्तमान में।
श्री कृष्ण की पीढ़ी में माना जाता है करोली राजपरिवार
करोली विधानसभा :-धौलपुर में करोली विधानसभा में करोली भी राजपूत विधानसभा मानी जाती है ।श्री कृष्ण की पीढ़ी में माना जाता है करोली राजपरिवार ।शुरूआत में राजतंत्र के बदले स्वरूप में लोकतंत्र वाली सियासत पर अधिकाशंतः : रियासत शाही ज्यादा हावी रही है ओर इसी के चलते राजपरिवार के प्रभाव के चलते करौली विधानसभा पर 1952 से 1977 तक लगातार राजपरिवार काबिज रहा ।
इसके बाद विधायकी हाथ से चले जाने के बाद वर्ष 2003 के चुनाव पूर्व राजघराने के कृष्णचंद्र पाल ने भाजपा के टिकट पर भाग्य आजमाया , मगर वह बहुत कम वोटो से चुनाव हार गए । हालांकि , राज्य की तत्कालीन वसुंधरा राजें सरकार ने पराजित रहे कृष्णचंद्र पाल को डांग विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर मान रख दिया । अगले चुनाव वर्ष 2008 में पूर्व राजघराने के कृष्णचंद्र पाल की धर्मप पत्नी रोहिणी कुमारी नके भाजपा के टिकट पर जनता के बीच लड़ा तो वे इस चुनावी जंग को जीतने में कामयाब रहीं ।
पहली महिला विधायक बनीं रोहिणी करोली विधानसभा से वर्ष 2008 के चुनाव में निर्वाचित हुई रोहिणी कुमारी को पहली महिला प्रत्याशी व विधायक बनने का गौरव मिला , वहीं विधायकी को राजमहल तक पुन : वापस लाने का श्रेय भी । तेरह विधायकों में से छह बार विधायक राजपरीवार से ओर सभी अन्य वर्गों में से विधानसभा पहुंचे हैं । सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करौली विधानसभा इस विधानसभा में गुजर मीना का भी कुछ वर्चस्व माना जाता है ।
FAQ
वर्तमान लोकसभा सदस्य कौन हैं?
वर्तमान लोकसभा सदस्य मनोज राजोरिया हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं.
2. धौलपुर लोकसभा क्षेत्र का क्षेत्रफल कितना है?
यह क्षेत्र राजस्थान के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित है और इसमें धौलपुर करौली जिले शामिल हैं.
3. धौलपुर लोकसभा क्षेत्र की आबादी कितनी है?
यह आबादी मुख्य रूप से ग्रामीण है और यहाँ के लोग कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं.
4. धौलपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
धौलपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं:
- बेरोजगारी
- शिक्षा की कमी
- स्वास्थ्य सेवा की कमी
- सड़कों की खराब स्थिति
- बिजली की कमी
- पानी की कमी
- सिंचाई की कमी
मुझे उम्मीद है कि ये जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी.
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