Dhod Vidhansabha-सीकर की धोद विधानसभा

Dhod Vidhansabha Sikar-सीकर की धोद विधानसभा

धोद विधानसभा क्षेत्र राजस्थान में सीकर जिले में स्थित विधान सभा क्षेत्र है। धोद (SC) विधानसभा राजस्थान के सीकर जिले की एक सीट है. ये शेखावाटी इलाके में पड़ता है .यह क्षेत्र सीकर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तरगत आता है। 1952 में धोद सीकर तहसील क्षेत्र में शामील था। वर्ष 1957 में इसका नाम सिंगरावट कर दिया गया। 1967 में लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन के कारण सिंगरावट विधानसभा का विलय सीकर और लक्ष्मणगढ़ विधासभा क्षेत्रों में कर दिया गया। धोद विधानसभा क्षेत्र 1977 से अस्तित्व में आया। 1957 से 90 तक रामदेवसिंह महरिया कांग्रेस से लगातार चुनाव जीते, 1993 में नये नवेले कांमरेड अमराराम ने मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी चुनाव जीता और लगातार 2008 तक विधायक रहे,2013 मैं पहली बार यहां से भारतीय जनता पार्टी का खाता खुला और गोरधन वर्मा (गोवर्धन वर्मा को यहां लोकल लोग गोरधन प्रधान के नाम से जानते हैं) चुनाव जीते, 2018 में राजपूत वोटो के सहारे परसराम मोरदिया ने कांग्रेस से जीत दर्ज की

Dhod Vidhansabha-सीकर की धोद विधानसभा

धोद विधानसभा में लगातार प्रत्याशी

शुरुवाती चुनाव धोद विधानसभा में लगातार राजपूत प्रत्याशी जाटों के सामने रहे 1990 तक लगातार राजपूत और जाटों के बीच यहा सीधा संघर्ष 1993 का चुनाव जय सिंह जी शेखावत ने नहीं लड़ा 1998 चुनाव उन्होंने फिर से लड़ा और हार देखनी पड़ी

2018 परसराम मोर्दिया कांग्रेस 75142

2013 गोर्धन बी जे पी 88668

2008 पेमा राम सीपीएम 47840

2003 अमरा राम सीपीएम 44647

1998 अमरा राम सीपीएम 44672

1993 अमर राम सीपीएम 44375

1990 राम देव सिंह कांग्रेस 32906

1985 रामदेव सिंह कांग्रेस 33549

1980 राम देव सिंह कांग्रेस (आई) 29275

1977 रामदेव सिंह कांग्रेस 30106

1977 के पहले चुनाव में रामदेव सिंह महरिया(चौधरी) चुनाव जीते उनके सामने गोवर्धन सिंह (राजपूत) ने चुनाव लड़ा और गोवर्धन सिंह लगभग 7 हजार वोटों से चुनाव हारे , रामदेव सिंह महरिया को उस समय 29000 मत मिले

1980 का चुनाव रामदेव सिंह महरिया चौधरी के सामने गोवर्धन सिंह (राजपूत) ने लड़ा जो 14 हजार वोटों से हारे, रामदेव सिंह महरीया को 29 हजार वोट मिले

1985 के चुनाव में जय सिंह ने 5000 वोटों से चुनाव हारे उस समय जय सिंह(राजपूत) लोक दल से चुनाव लड़े थे और रामदेव सिंह महरिया(चौधरी) से चुनाव हारे जिन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा

1990 के चुनाव में जय सिंह शेखावत यहां से चुनाव लड़े, उनका मुकाबला कांग्रेस के रामदेव सिंह महरीया से था, जय सिंह शेखावत मात्र 2000 वोटों से चुनाव हारे उनकी हार का कारण उसी समय जय सिंह नाम के एक और व्यक्ति ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिसने 1354 वोट लिए थे, इसके अलावा घनश्याम तिवारी ने जय सिंह को चुनाव करवाने में भूमिका निभाई

1993 में कांग्रेस के रामदेव सिंह महरिया चौधरी को हार मिली कॉमरेड अमराराम ने पहली बार जीत दर्ज की अमराराम करीब 13000 वोटों से जीते इस चुनाव से राजपूत लगभग फाइट से बाहर हो गए

1993 में कांग्रेस के रामदेव सिंह महरिया चौधरी को फिर से हार मिली कॉमरेड अमराराम ने करीब 3 हजार वोटों से जीते

1998 में कांग्रेस के रामदेव सिंह महरिया चौधरी को हार मिली कॉमरेड अमराराम ने दुसरी बार जीत दर्ज की अमराराम करीब 13000 वोटों से जीते

2003 में जहां से कांग्रेस रेस से बाहर हो गई 2003 में वर्तमान भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा के भाई रामेश्वर हवा ने चुनाव लड़ा अमराराम से करीब 20000 वोटों से हारे

2008 में 5 बार के विधायक रहे परसराम मोरदिया ने लक्ष्मणगढ़ विधानसभा को छोड़कर धोद से चुनाव लड़ा और करीबन 3000 वोटों से चुनाव हारे इस बार मेघवाल कॉमरेड पेमाराम ने जीत दर्ज की

2013 के चुनाव में पहली बार बीजेपी ने खाता खोला यहां से गोवर्धन वर्मा ने करीबन 45000 वोटों से जीत दर्ज की गोवर्धन वर्मा के 88000 वोट आए

2018 के चुनाव में परसराम मोरदिया ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की परसराम मोरदिया ने 75000 वोट प्राप्त किए और करीबन 15000 वोट अधिक प्राप्त करके जीत दर्ज की

धोद में कुल मतदाता:

दो लाख 53 हजार 255

पुरुष: एक लाख 30 हजार 328

महिला: एक लाख 21 हजार 11——

जातिगत गणित

विधानसभा क्षेत्र में लगभग 65 हजार जाट, 43 हजार एससी, 55 हजार राजपूत, 22 हजार ब्राह्मण, 20 हजार मुस्लिम, 14 हजार कुमावत, 12 हजार माली व 06 हजार वैश्य मतदाता है।

भविष्य में यहां से राजपूत प्रत्याशी चुनाव लड़ता है तो वह आराम से चुनाव निकाल सकता है

2008 के चुनाव में यहां से राजकुमार शर्मा ने सामाजिक न्याय मंच से चुनाव लड़ा और 10000 मत प्राप्त किए

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मुझे उम्मीद है कि ये जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी.

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