बाबा रामदेव जी का जन्म क्षत्रिय तोमर (राजपूत) परिवार मे हुआ इसी वंश मे दिल्ली पति अनंगपाल तोमर हुए थे । श्री रामदेव जी महाराज के 21 वी पीढ़ी के वंशज आदरणीय गादीपति राव श्री भोम सिंह जी तंवर आप रामदेवरा मंदिर के वर्तमान अध्यक्ष पद पर विराजमान है। बाबा रामदेवजी जी पूरे भारत मे पूजा की जाती है। बाबा रामदेव जी राजस्थान के 5 प्रमुख लोकदेवता मे गिने जाते है .
बाबा रामदेवजी के बारे मे पूरी जानकारी
- रामदेवजी के नाम – रामदेव जी , रामसा पीर,’रुणीचा रा धणी
- पिताजी – तँवर वंशीय ठाकुर श्री अजमाल जी
- माता – मैणादे
- बहन – सुगना
- संतान – सादोजी ओर देवोंजी (दो पुत्र )
- जन्मदिन – भाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स. 1409
- जन्म स्थान – रुणिचा राजस्थान
- समाधी – रुणीचाके रामसरोवर के किनारे जीवित समाधि ली थी
- गुरु – बालीनाथ
- प्रतीक चिन्ह – पगलिया
- उत्तराधिकारी – अजमल जी
- जीवन संगी – अमरकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में) के सोढ़ा राजपूत दलै सिंह की पुत्री निहालदे (नेतलदे) के साथ हुआ था।अमरकोट रियासत अभी पाकिस्तान मे है
- राज घराना – तोमर वंशीय राजपूत
- वंशज -अर्जुन के माने जाते हैं।
- धर्म – हिन्दू
- मृत्यु – वि.स. 1442
- मृत्यु स्थान – रामदेवरा
इस देश सबसे फेमस लोक देवता बाबा रामदेवजी है। लोक देवता बाबा रामदेव जी सम्पूर्ण देश मे प्रसिद्धि है फिर भी खासकर पंजाव, हरयाणा , राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश(एमपी), उत्तरप्रदेश(यूपी ), भारत के बहुत राज्यों में बाबा रामसापीर ,’रुणीचा रा धणी’ ओर बाबा रामदेव’ आदि नामों से प्रसिद्ध है ! बाबा रामदेव जी ने समाज में व्याप्त कुरीतिया छूआ-छूत, ऊँच-नीच ओर कुरीतिया आदि बुराइयों को दूर किया ओर सामाजिक समरसता स्थापित की थी !
बाबा रामदेवजी को हिन्दू कृष्ण का अवतार मानते है तथा मुस्लिम समाज ‘रामसा पीर’ के रूप में मानते है और इनकी पूजा भी करते हैं ! बाबारामदेवपीर जी दो भाई थे । उनके बड़े भाई को वीरमदेवजी को ‘बलराम भगवान का अवतार’ माना जाता है ! रामदेव जी को ‘विष्णु का अवतार’ भी मानते हैं !
रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की स्थापना की थी । रामदेव जी के गुरु का नाम बालीनाथ था । ऐसी मान्यता है कि रामदेवजी ने बाल्यावस्था में ही सातलमेर (पोकरण) मरु भूमि क्षेत्र में तांत्रिक भैरव राक्षस का वध करके उसके आतंक को खत्म किया ! बाबा रामदेव जी ने जनता को कष्ट से मुक्ति दिलाई बाबा रामदेव जी ने पोकरण कस्बे को पुनः बसाया तथा रामदेवरा (रुणेचा) में रामसरोवर का निर्माण करवाया !
बाबा रामदेव जी के भक्त सबसे अधिक मेघवाल जाती के है जिनको रिखीया कहते है
बाबा के भक्त मंदिरों मे कपड़े का घोडा बनाकर मंदिर मे अर्पित करते है
इनकी धर्म बहन डाली बाई’ ने यहाँ पर उनकी आज्ञा से एक दिन पहले जलसमाधि ली थी।डाली बाई का मंदिर इनकी समाधि के समीप स्थित है।
अपनी सगी बहन भी थी जिनका नाम सुगना बाई थी जिसका विवाह पुंगलगढ़ के (प्रतिहार राजपूत ) परिहार राव किशन सिंह से हुआ।
रामदेवजी के वंश मे मृतक व्यक्ति को दफनाया जाता है । बाबारामदेवजी के बीकानेर व जैसलमेर में ‘ब्यावले भक्तों’ के द्वारा बांची(पढ़ी ) जाती है। रामदेवजी का मेला प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक लगता है।
भगवान बाबा रामदेवजी की वंशावली
- भगवान रामदेवजी
- देवराज जी
- रतन सिंह जी
- राव साहब गोविंद सिंह जी
- देवकरण जी
- पृथ्वीराज जी
- राणों जी
- माढ़न जी
- भूपत सिंह जी
- रघुनाथ सिंह जी
- मान सिंह जी
- अजब सिंह जी
- किशोर सिंह जी
- संवाई सिंह जी
- चेन सिंह जी
- राम सिंह जी
- बुलिदानी सिंह जी
- हिम्मत सिंह जी
- राज सिंह जी
- रिडमल सिंह जी
- जसवंत सिंह जी
- भोमं सिंह जी तंवर वर्तमान पदासीन
वर्तमान मे मंदिर भोंम सिंह जी ही संभालते है ओर यात्रियों क लिए सारी व्यवस्था करते है ।
रामदेव जी की वंशावली प्रोपेसर सोनाराम बिसनोई के द्धारा दर्शाई गई है .बाबा रामदेव जी के ऊपर कई किताबे लिखी हुई है जिनमे ब्यावला (पूनमचंद द्वारा रचित), श्री रामदेवजी चरित (ठाकुर रुद्र सिंह तोमर), श्रीरामदेव प्रकाश (पुरोहित रामसिंह), रामसापीर अवतार लीला (ब्राह्मण गौरीदासात्मक) एवं श्रीरामदेवजी री वेलि (हरजी भाटी) आदि इन पर लिखे प्रमुख ग्रंथ है !
ओर दूसरे आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे:-
Leave a Comment