राजस्थान के जाट लोकसभा क्षेत्रों का जानकारी

राजस्थान के जाट लोकसभा क्षेत्रों का जानकारी

मुख्यमंत्री राज्य निर्वाचन दलों के सदस्यों के आधार पर चुने जाते हैं। यहां राजस्थान राज्य में जाति के आधार पर वोटिंग के बारे में एक विस्तृत लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। इस लेख में राजस्थान के सभी लोकसभा क्षेत्रों के आधार पर जाति वार वोटिंग के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह जानकारी आपको यह बताने में मदद करेगी कि कौन सी जातियाँ किस लोकसभा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

राजस्थान राज्य में कुल 25 लोकसभा क्षेत्र हैं और यहां परिवर्तनशीलता और सामाजिक जनता के भारी मुद्दों के कारण जातिगत वोटिंग का एक महत्वपूर्ण अंश है। इन लोकसभा क्षेत्रों में विभिन्न जातियों के प्रमुख आवासीय क्षेत्र होते हैं जहां उनकी ज्यादातर आबादी निवास करती है। इसलिए, जातिगत वोटिंग इन क्षेत्रों में चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यहां हम राजस्थान के प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों के आधार पर जाति वार वोटिंग की जानकारी प्रदान कर रहे हैं:

Rajasthan jat population map

–राजस्थान में जाट वोट लोकसभा वाइज —

चुरू 4 लाख

नागौर 4 लाख

झुंझुनू 4 लाख

सीकर 3.8 लाख

बाड़मेर 2.5 लाख

भरतपुर 2.5 लाख

बीकानेर 2.10 लाख

जयपुर ग्रामीण 2.10 लाख

अजमेर 2 लाख

गंगानगर 2 लाख

जोधपुर 1.4 लाख

पाली 1.5 लाख

राजसमंद 1.6 लाख

भीलवाड़ा 1.10 लाख

चित्तौड़ 65 हजार

जयपुर शहर 60 हजार

सवाई माधोपुर-टोंक 60 हजार

दौसा 40 हजार

अलवर 60 हजार

धौलपुर 30 हजार

अन्य 20 हजार

इस तरह जाटों के राजस्थान में अधिकतम वोट 38 लाख के आसपास बनते हैं जो कुल वोट का अधिकतम 8% बनता है। राजस्थान में कुल वोट साढ़े 4 करोड़ से ऊपर हैं। ये वो आंकड़े हैं जो मीडिया में बताए जाते हैं। खुद जाट भी जो विधानसभा वाइज दावे करते हैं उसके अनुसार हैं। जाट जो बेहद अतिशयोक्ति पूर्ण और भ्रामक आंकड़े अपने लोकसभा वाइज देते हैं उन्हे भी मिला दे तब भी मात्र 1% और आबादी बढ़ती है। इससे ज्यादा जाट वोट होने की कहीं कोई गुंजाइश नहीं है। आधे राजस्थान में बेहद कम या ना के बराबर जाट आबादी है।

आजकल जाट नेता आमजन और मीडियाकर्मियों की मूर्खता का फायदा उठाकर 20% तक जाटों की आबादी बता रहे हैं। इसके आधार पर ओबीसी कोटे की लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 20% आबादी के आधार पर मुख्यमंत्री के पद पर जाटों का अधिकार होने की बात कर रहे हैं। सरकारी नौकरियों, प्रशासन से लेकर हर क्षेत्र में जाटों के एकतरफा वर्चस्व के लिए धौंसपूर्वक बैटिंग कर रहे हैं। जाटों का राजस्थान का मालिक स्वीकार करने के लिए माहौल बना रहे हैं।

अगर मुख्यमंत्री पद की ही बात की जाए तो 75 में से 10 साल वसुंधरा राजे जाट मुख्यमंत्री रह चुकी है जो 15% समय हुआ। इस तरह जाटों की आबादी से भी दोगुना समय जाट मुख्यमंत्री ऑलरेडी रह चुका है।

इसी तरह राजनीति, सरकारी नौकरियों, प्रशासन आदि में जाट अपनी आबादी से कई गुना ज्यादा प्रतिनिधित्व हासिल कर रहे हैं और दूसरों का हक मार रहे हैं। इसे कवर करने के लिए जाट बढ़ा चढ़ाकर अपनी आबादी होने का माहौल बना रहे हैं।

जबकि राजपूत 15% होकर भी अपनी आबादी से आधा भी प्रतिनिधित्व, नौकरी वगैरह हासिल नहीं कर पा रहे और ना ही अपनी सही आबादी प्रचारित कर पा रहे।

राजस्थान में जातिगत जनगणना का सबसे ज्यादा फायदा राजपूतों को और सबसे ज्यादा नुकसान जाटों को है। इसके बावजूद राजपूतों में कोई इसकी मांग नही कर रहा जबकि जाट इसकी मांग कर के नंबर बना रहे हैं क्योंकि उन्हे लगता है कि जनगणना होने से रही।

लेकिन जनगणना के बिना भी जाटों के इस प्रोपगंडा का काउंटर कर इनकी आबादी के दावों की ही पोल खोल दी जाए

निष्कर्ष

यह लेख राजस्थान की जनता को सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मामलों पर संवेदनशील बनाने का एक प्रयास है। इससे लोगों को विश्वास होगा कि उनकी जाति का वोट राजनीतिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देता है और उनकी मांगों को ध्यान में रखा जाता है।

FAQ

राजस्थान में कुल कितने लोकसभा क्षेत्र हैं?

उत्तर: राजस्थान में कुल 25 लोकसभा क्षेत्र हैं। यह क्षेत्र विभाजित हैं ताकि राज्य की विभिन्न भागों के प्रतिनिधि निर्वाचित हो सकें।

क्या राजस्थान का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र कौन सा है?

उत्तर: राजस्थान का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र बाड़मेर-जैसलमेर है। यहां की जनसंख्या और क्षेत्रफल के कारण, यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से थोड़ा अधिक प्रतिनिधित्व करता है।

राजस्थान में सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र कौन सा है?

उत्तर: राजस्थान का सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र जयपुर ग्रामीण है। यह क्षेत्र क्षेत्रफल में छोटा होने के कारण, कुछ अन्य क्षेत्रों की तुलना में थोड़ा कम प्रतिनिधित्व करता है।

क्या राजस्थान में केंद्रीय मंत्रियों का निर्वाचन होता है?

उत्तर: हाँ, राजस्थान में भी केंद्रीय मंत्रियों का निर्वाचन होता है। ये मंत्री राजस्थान के प्रतिनिधित्व करते हैं और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के प्रशासनिक कार्यों को संभालते हैं।

क्या राजस्थान के सभी लोकसभा क्षेत्र स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए हैं?

उत्तर: नहीं, राजस्थान के सभी लोकसभा क्षेत्रों को स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर नहीं रखा गया है। यहां के विभिन्न क्षेत्रों को इतिहास, सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रमुखताओं के आधार पर नामित किया गया है।

कौनसा लोकसभा क्षेत्र राजस्थान का राजधानी जयपुर को प्रतिनिधित्व करता है?

उत्तर: जयपुर शहर को राजस्थान की राजधानी कहा जाता है और यहां का लोकसभा क्षेत्र जयपुर लोकसभा क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करके जयपुर के निवासियों की मांगों और समस्याओं को सरकार तक पहुंचाया जाता है।

राजस्थान के लोकसभा क्षेत्रों का विभाजन किस आधार पर हुआ है?

उत्तर: राजस्थान के लोकसभा क्षेत्रों का विभाजन जनसंख्या, भौगोलिक फैलाव और प्रशासनिक कार्यक्षेत्रों के आधार पर हुआ है। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि हर क्षेत्र को बेहतर तरीके से प्रतिनिधित्व मिल सके और लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाया जा सके।

ओर दूसरे आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे:-

Post navigation

Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *